Friday, March 6, 2009

रोहित जी की कविता - ''खो देना चाहती हूँ तुम्हें''

अब हम कलम का सिपाही कविता प्रतियोगिता के इस क्रम में जो कविता प्रकाशित कर रहे है उसे लिखा है रोहित जी ने !
हम रोहित जी को हार्दिक बधाई देते है और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते है !
आप सभी से आग्रह है की इस कविता पर अपनी राय दें !



खो देना चहती हूँ तुम्हें..

सही है कि तुम चले गये, दूर अब मुझसे हो गये
इतने वक़्त से भी कहाँ करीब थे, पर अब फाँसले सदा के लिए हो गये
बात करने का तुमसे मन नहीं, कोई जवाब तुम्हारे खयाल का देना नहीं
ना तुमसे कोई रिश्ता, ना अब कोई और चाह रही
काश की तुम बीते दिनों से भी मिट जाओ, तुम्हारी यादें इस कोहरे में कहीं गुम जायें
काश कि तुम्हारा नाम मुझे फिर याद न आये, ये याद रहे कि तुम मेरे कोई नहीं
जो हो तुम मेरे कोई नहीं तो फिर भी क्यूं याद करती हूँ ये कह कर कि तुम मेरे 'कोई नही'
चले जाओ तुम मेरे शब्दों से, ख्यालों से, इस वक्ये के बाद तो तुम जा चुके हो मेरे सपनों से भी
नाम लेते ही साँसों में अब भी हलचल सी क्यूँ होती है
क्यूँ किसी बात की आशा अब भी रहती है
हाथों से तुम्हें छिटकना चाहती हूँ फिर भी एहसास छूटता क्यूँ नहीं
चलते हुये गिरती हूँ तो आज भी क्यूँ तुम्हारा हाथ बढा देना याद आता है
ये दिन - यह वाक्या बीता है तो फिर इसी तरह ज़िन्दगी आगे भी बढ जायेगी
तुम्हारा तो पता नहीं, मुझे 'बूढे हो जाने पर ये-वो होगा' - वाली बातें याद आयेगीं
चाहती हूँ इस सबके बाद भी तुमसे कभी मुलाकात ना हो
सामना करने की हिम्मत जो खो बैठी हूँ
सूरत-सीरत, अन्दाज़ और तलफ्फुज़् सब बदल गये हैं
बहुत डर लगता है अपने इस बद्ले हुए रूप से
काफी चीज़े छोड आयीं हूँ पीछे
वो तभी के लिये सही थी
अब तो उन्हें साथ लिये ज़िन्दगी जीना भी कठिन है
खुश रहो तुम सदा, बहुत बडे बनो
ज़िन्दगी का हर मकाम तुम्हें हासिल हो, ये तमन्ना है मेरी
बस तुमसे सामना ना हो फिर कभी, ये ख्वाहिश बाकी रहेगी

Tuesday, March 3, 2009

आरती आस्था जी की कविता ''लिखावट''

कलम का सिपाही कविता प्रतियोगिता के अंतर्गत आज हम आपके लिए जो कविता प्रकाशित कर रहे है उसे अपने अल्फाजों से सजाया है आरती आस्था जी ने !
कलम का सिपाही मे सहयोग के लिए हम आपके आभारी है और हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते है !
इस रचना पर आप अपनी राय दें !

लिखावट

हाथो से
जो नही लिख पते हम
लिखने की कोशिस करते है
बहुत बार
आसुओ से
इस आस में
की शायद
लिख जाए कुछ ऐसा
जो न लिखा गया हो अब तक
हमारी किस्मत में............!

Saturday, February 28, 2009

अभिषेक आनंद जी की सम्मानित कविता -भोली माँ

कलम का सिपाही कविता प्रतियोगिता के अंतर्गत हम आज सम्मानीय श्रेणी के लिए जो कविता प्रकाशित कर रहे है उसे अपने अल्फाजों से सजाया है ''अभिषेक आनंद'' जी ने !अभिषेक जी बिहार के पटना से बास्ता रखते है ! आप लोग इनकी कविता पर अपनी राय जरुर दें!!
इनका पूरा जीवन परिचय इनकी ही जुबानी:-
मैं , अभिषेक आनंद , बिहार के एक शहर पटना से आता हूँ .मैं अपने परिचय को अपनी माँ ( श्रीमती अंजु कुमारी वर्मा ) और पिता ( श्री निर्मल कुमार वर्मा ) के बिना अपूर्ण मानता हूँ .मेरी जन्म तिथि है : 29.01.1985 .मैं अभी बी.टेक चतुर्थ वर्ष (निफ्ट , रांची ) का छात्र हूँ , और इस वर्ष मेरा चयन हिंडाल्को कंपनी में हुआ है .कविता कि बात करें तो मैं पिछले कुछ दिनों से मेरे ब्लॉग :http://www.abhishek029.blogspot.com/पर अपनी कवितायें लिख रहा हूँ ।इसके अलावा मेरी कुछ कवितायें AIR Ranchi से प्रसारित हो चुकी हैं ।एक अंकुरित होते कवि का और परिचय क्या हो सकता है ...!
मैं एक कवि हूँ ,
मेरा जीवन मेरी कविता है ,
ये शरीर मेरा विषय है ,
आत्मा कागज ,
अकेलापन मेरी गोष्ठी है ,
मेरी इन्द्रियाँ मेरी प्रशंशिका ,
एक समूचा कवी मेरे अन्दर जीता है ,
और मृत्यु हीं मेरी आखिरी कविता है .....
इनकी रचना पढने और अपनी राय देने के लिए देखें :-


अभिषेक आनंद की सराहनीय कविता-भोली माँ
http://yaadonkaaaina.blogspot.com/2009/03/blog-post_8845.html

Thursday, February 26, 2009

गोपिकांत महतो. जी की सराहनीय कविता

आज से हम सराहनीय ९ कविताओं को प्रकाशित करने की शुरुआत कर रहे है इन कविताओं को किसी भी प्रकार की श्रेणी नहीं दी गयी है हमें जिस कविता को पहले प्रकाशित करने में सुबिधा हो रही है हम पहले उन्हें ही प्रकाशित कर रहे है !
इसी क्रम की शुरुआत हम कर रहे है गोपिकांत महतो जी की कविता ''एकता.....ये दीप मेरे'' से गोपिकांत जी आकिर्टेक्ट है और लोग इन्हे समाज सेवक ही हैसियत से भी जानते है ! यह रांची झारखण्ड से बास्ता रखते है !
तो यह रही इनकी कविता !
इनकी कविता को देखने और अपनी राय देने के लिए देखें :-

गोपिकांत महतो. जी की सराहनीय कविता

Sunday, February 22, 2009

फकीर मोहम्मद घोसी की सम्मानित कविता- ''गर भाषा न होती''

कलम का सिपाही कविता प्रतियोगिता के अंतर्गत अब हम जो कविता प्रकाशित करने जा रहे है से अपने अल्फाजों और भावनाओं से सजाया है ''फकीर मोहम्मद घोसी जी '' ने !फकीर मोहम्मद घोसी जी विजय नगर, फालना स्टेशन, जिला-पाली (राजस्थान) से बास्ता रखते है ,उनकी रचना में देश प्रेम .भाषा प्रेम देखा गया है ! उनकी आज की रचना भी कुछ ऐसी ही है ''''गर भाषा न होती''!


हम आपको याद दिला दे की शीर्ष पाँच की यह अन्तिम कविता है ,इसके बाद सम्मानित पाँच कविताओं का सफर यही थम जाएगा ! और इसके बाद हम ९ सराहनीय कविताएँ आपके सामने प्रस्तुत करेंगे ! तो फकीर मोहम्मद घोसी जी को शीर्ष पाँच में आने के लिए हमारी ओर से बधाई हम उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते है ,आप से आग्रह है की अपनी राय देकर उनके प्रोत्साहन को ऊँचा करें!

फकीर मोहम्मद घोसी जी की रचना पढने और अपनी राय देने के लिए देखें :-

फकीर मोहम्मद घोसी की सम्मानित कविता- ''गर भाषा न होती''

Saturday, February 21, 2009

अनुराधा जी सम्मानित कविता-माँ का मंथन

''कलम का सिपाही''कविता प्रतियोगिता के अंतर्गत अब हम जो कविता प्रकाशित करने जा रहे है उसे अपने हुनर से रचा है ''अनुराधा गुगनानी जी'' ने ! इनके बारे में और अधिक जानकारी के लिए हम इनका जीवन परिचय प्रकाशित कर रहे है ! और हम आपको याद दिला दे की शीर्ष पाँच में से यह चौथे स्थान की कविता है

आशा है आपको पसंद आएगी !!हम अनुराधा जी को बहुत बहुत बधाई देते है और इनके उज्जवल भविष्य की कामना करते है !

अनुराधा जी कुछ अल्फाजों में -
मै अंजू चौधरी ॥उम्र ४१ ...गृहणी हूँ मै बी।ए तक पड़ी हुई हूँ और अनुराधा गुगनानी मेरा बचपन का नाम है ॥मै इसी नाम से अपने लेख लिखती हू पहली बार किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है मेरा कोई भी लेख अभी तक कही नहीं प्रकाशित नहीं हुआ है बहुत वक़्त से लिख रही हूँ कभी मौका नहीं मिला .....कि अपना लिखा प्रकाशित करवा सकूं ......यहाँ कलम के सिपाही ने मुझे ये मोका दिया मै बहुत आभारी हूँ ....संजय सेन सागर जी कि जो उन्होंने मुझे ये मोका दिया मैंने कभी अपने को लेखक नहीं माना ॥बस जब कॉपी और पेन हाथ मे में आता है अपने आप कुछ लिखा जाता है!

एक माँ कि पीडा ...जो ना तो अपने बच्चो से कुछ कहे सकती है ......और ना ही अपने बडो को ....बड़े जो सब कुछ जानते हुए भी कुछ समझना नहीं चाहते,और .......बच्चे कुछ समझते नहीं है ......बस...ये ही सब कहने कि चेष्टा॥कि है मैंने ..........

अनुराधा जी की अनमोल रचना पढने के लिए देखें :-

http://yaadonkaaaina.blogspot.com/2009/02/blog-post_22.html

विनोद बिस्सा जी की कविता ''असमंजस विनाशकारी''

इस कड़ी में अब हम जो कविता प्रकाशित कर है उसे अपने शब्दों से सजाया है विनोद बिस्सा जी ने ,विनोद जी की इस कविता ने शीर्ष पाँच में तीसरा स्थान प्राप्त किया है ! हम विनोद की को बहुत बहुत बधाई देते है और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते है ,आप लोगों से आग्रह है की उनकी इस कविता पर अपनी राय के रूप में समीक्षा भेजें !

विनोद जी की कविता पढने और अपनी राय देने के लिए देखें :-

विनोद बिस्सा जी की कविता ''असमंजस विनाशकारी''